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विश्व भ्रम के सिवाय कुछ नहीं है, चार का भाग ४

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इस तरह सन्यासी को होना चाहिए। केवल वह जिसने ईश्वर को जान लिया है सन्यासी है। सन्यासी होना केवल बाल मुंडवाना नहीं है। यदि आप ईश्वर को नहीं जानते, यह व्यर्थ है कोइ फ़र्क़ नहीं पड़ता आप कितनी बार बाल मुंडाते हैं। "ईश्वर के साथ एक," ठीक है? सन्यासी होना ईश्वर के साथ एक होना है। समझे? (समझे।) फिर आप सब कुछ समझेंगे।
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