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विश्व भ्रम के सिवाय कुछ नहीं है। यह वास्तव में इस तरह है। तो, जब हम गहरी समाधि में होते हैं, सारा विश्व लुप्त हो जाता है, हमारा अपना व्यक्ति भी लुप्त हो जाता है। यह वास्तव में इस तरह है। सजीव जीवों के अनगिनत भ्रम जीवन दर जीवन, इसमें और उसमें प्रदर्शित होते हैं।