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"पुराने को निकाल दें, नये को अपना लें, बजाए, खुशी की घंटी, बर्फ के पार। वर्ष बीत रहा है, उसे जाने दें, झूठ को त्याग दें, सत्य में अपनाए। दुख को त्याग दें, जो मस्तिष्क को मूर्ख बनाता है, उनके लिए जो यहां हैं हम और नहीं देखते हैं; गरीब और अमीर के विरोध को त्याग दें, संपूर्ण मानवता के निवारण को अपना लें।"