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मेरा गांव चकाचौंध भरी राजधानी से ज्यादा दूर नहीं है, यहां रहने वालों के लिए सूनी फूस की झोपड़ियां हैं, इन्हें किसने जीर्ण-शीर्ण और उजाड़ बना दिया? रात के सन्नाटे में, वहाँ एक भी जवान आदमी नहीं है, बस एक गरीब महिला की आह है जो अपने छोटे बच्चे को सांत्वना दे रही है।