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आध्यात्मिक मार्गदर्शन: 'सद वाणी - श्री आनंदमयी मां (शाकाहारी) की शिक्षाओं का संग्रह' से चयन, 2 का भाग 1

विवरण
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“अकेला ईश्वर ही परिपूर्ण है; कोई भी व्यक्ति दोषों से मुक्त नहीं हो सकता। दूसरों में अच्छे गुण देखने का अभ्यास करने से, स्वयं में भी वही गुण विकसित होते हैं, क्योंकि आप जैसा सोचते हैं वैसा ही बन जाते हैं।”